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ग़ज़ल । स्वेटर

अशोक जमनानी जी द्वारा भेंट किये उनके कहानी संग्रह 'स्वेटर' को पढ़ा। पहली प्रतिक्रिया ... "बहुत बेहतरीन" ... हर कहानी एक से बढ़कर एक, सारे क़िरदार एक दम प्रभावी और जीवंत, सभी रसों से भरपूर ... भई मज़ा आ गया ... अशोक सर! 'स्वेटर' पढ़ने के बाद एक ग़ज़ल पेश है इस नाचीज़ की कलम से ... +ग़ज़ल+ बड़ी तारीफ़ के क़ाबिल लिखी हर इक कहानी है, किसी फ़नकार दिल की जैसे पैग़ामे-ज़ुबानी है। यहाँ पर मुख़्तलिफ़ किरदार में है ज़िन्दगी फैली; बुजुर्गो सा तज़ुर्बा और लफ़्ज़ों में जवानी है। कभी "लफ़्फ़ाज़" बनके ये तुम्हे बेहद हँसाती है, छुई जब "चीटियाँ वो लाल" तो आँखों में पानी है। "टिकिट" कहती भरोसा कर कि है इंसानियत ज़िंदा, "रंग" पढ़कर लगा यूँ आज फिर होली मनानी है। यहाँ जज़्बात औ हालात जो हर बात में शामिल, यही "स्वेटर" की रेशे रेशे में बुन दी कहानी है। ~ आतिश

बाबा रामदेव पीर

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सभी प्रकार के भेद-भाव को मिटाने एवं सभी वर्गों में एकता स्थापित करने की पुनीत प्रेरणा और छुआछूत, अत्याचार, बैर-द्वेष के प्रखर विरोधी आंदोलक ... 15वी सदी के पश्चिमी राजस्थान के तोमर वंशीय राजा अजमल, रानी मैणादे के पुत्र और रानी नेतलदे के पति ... हिंदुओं के बाबा-रामदेव या मुस्लिमों के रामसापीर आज जयंती है। पाबू हडू रामदे ए माँगाळिया मेहा। पांचू पीर पधारजौ ए गोगाजी जेहा॥ ।।।भाद्रपद शुक्ल द्वितीया (भादु सुदी दूज की शुभकामनाएँ।।।

मेरी कलम 5

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हर कोई चाँद को पाने की ख़्वाहिश रखता है अब हर शख़्स तो 'आर्मस्ट्रांग' हो नहीं सकता मैं चाँद को पाने की चाह तो नहीं करता लेकिन उसे चाहने की हसरत ज़रूर रखता हूँ क्या पता एक दिन मेरे इश्क़ की तफ़्तीश करने को चाँद खुद जमीं पे उतर आए ... - हर्ष ...✍️

मेरी कलम 8

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सुबह-सुबह ज़िक्र नहीं करता उसका ज़ुबां पर मिठास आ जाती है फिर चाय बड़ी फीकी लगती है ... हर्ष ✍️