मेरी कलम 5
हर कोई चाँद को पाने की ख़्वाहिश रखता है अब हर शख़्स तो 'आर्मस्ट्रांग' हो नहीं सकता मैं चाँद को पाने की चाह तो नहीं करता लेकिन उसे चाहने की हसरत ज़रूर रखता हूँ क्या पता एक दिन मेरे इश्क़ की तफ़्तीश करने को चाँद खुद जमीं पे उतर आए ... - हर्ष ...✍️